Married Daughters: को मिला पैतृक संपत्ति में बराबरी का हक कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला

By: Anuj Prajapati

On: Thursday, July 17, 2025 7:09 AM

Married Daughters: को मिला पैतृक संपत्ति में बराबरी का हक कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला

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Married daughters: हमारे भारतीय समाज में बेटियों को हमेशा स्नेह और ममता का प्रतीक माना गया है। बचपन से ही वह अपने माता-पिता की आंखों का तारा होती हैं, लेकिन जब बात आती है संपत्ति में अधिकार की, तो अक्सर उन्हें दरकिनार कर दिया जाता है। समाज में यह धारणा रही है कि शादी के बाद बेटी पराया धन बन जाती है, और पिता की संपत्ति पर उसका कोई हक नहीं होता।

अदालत का ऐतिहासिक फैसला अब बेटा-बेटी दोनों बराबर

Married Daughters: को मिला पैतृक संपत्ति में बराबरी का हक कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला

  • कोर्ट ने स्पष्ट किया कि शादीशुदा बेटियों को पिता की संपत्ति में बराबरी का हक मिलेगा

  • यह फैसला हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 और 2005 के संशोधन के अनुरूप है

  • बेटी की शादी उसके उत्तराधिकार को समाप्त नहीं करती

Married daughters समाज की सोच में आएगा बदलाव

  • बेटियों को प्रॉपर्टी में हिस्सा मिलने से बढ़ेगी आर्थिक आत्मनिर्भरता

  • समाज में बेटियों का सम्मान और दर्जा मजबूत होगा

  • यह फैसला महिला सशक्तिकरण की दिशा में ऐतिहासिक कदम है

Married daughters संपत्ति विवादों में राहत की उम्मीद

  • बेटियों को अधिकार मिलने से पारिवारिक विवादों में कमी आ सकती है

  • स्पष्ट नियमों से संपत्ति बंटवारा निष्पक्ष और पारदर्शी होगा

  • कानूनी उलझनों में कमी और समय की बचत होगी

Married daughters महिलाओं की स्थिति में सुधार

  • यह निर्णय सिर्फ कानूनी नहीं, बल्कि सामाजिक सोच में बदलाव का प्रतीक है

  • बेटियां सिर्फ घरेलू जिम्मेदारी नहीं, संपत्ति की भी बराबर की हकदार हैं

  • इससे महिलाओं को आत्मविश्वास और अधिकार की भावना मिलेगी

भविष्य की दिशा और संभावनाएं

  • यह फैसला महिला अधिकारों की दिशा में भारत के लिए प्रेरणा बनेगा

  • अन्य देशों के लिए भी यह सामाजिक न्याय का उदाहरण हो सकता है

  • आने वाले समय में यह फैसला और व्यापक सकारात्मक बदलाव ला सकता है

Married Daughters: को मिला पैतृक संपत्ति में बराबरी का हक कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला

Married daughters को प्रॉपर्टी में समान अधिकार देने का यह फैसला न सिर्फ कानूनी रूप से, बल्कि भावनात्मक और सामाजिक स्तर पर भी एक ऐतिहासिक पहल है। यह उन सभी बेटियों के लिए न्याय का दरवाज़ा खोलता है जिन्हें वर्षों तक उनके हक से वंचित रखा गया। अब समय आ गया है कि समाज भी इस बदलाव को खुले दिल से स्वीकार करे और बेटियों को उनका हक और सम्मान दे।

अस्वीकरण: यह लेख केवल सामान्य जानकारी देने के उद्देश्य से लिखा गया है। इसमें दी गई किसी भी कानूनी प्रक्रिया या अधिकार की पुष्टि के लिए संबंधित सरकारी अथवा न्यायिक वेबसाइट या विशेषज्ञ से सलाह अवश्य लें। लेख में दी गई जानकारी समय के साथ बदल सकती है।

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Anuj Prajapati

Anuj Prajapati एक पेशेवर लेखक और मैनेजर हैं, जो Lok Chitra डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म से जुड़े हुए हैं। वे ऑटोमोबाइल, टेक्नोलॉजी, ई-स्पोर्ट्स और ट्रेंडिंग विषयों पर तेज़, सटीक और रोचक खबरें लिखने में माहिर हैं।
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