हीर का दिल प्यार से भरा था, रांझण के लिए सब कुछ कुर्बान कर दिया।
रांझण ने झूठे ख्वाब दिखाए, फिर बीच राह में ही साथ छोड़ दिया।
पलकों से बहते आंसू पूछते हैं – क्या तुम भी मुझे याद करोगे?
हीर की आवाज़ टूटती है, लेकिन दिल अब भी रांझण के लिए धड़कता है।
हर वादा, हर कस्में अब सिर्फ़ ज़ख्म बनकर दिल में चुभते हैं।
प्यार में मिला धोखा अब हीर की खामोशी में भी एक चीख बन चुका है।
रांझण गया, मगर यादें हर रोज़ उस पल को फिर से जीने मजबूर करती हैं।
अब हीर की आँखों में सिर्फ़ सूनापन है – सवाल अधूरे, जवाब कहीं खो गए।